राधा और कृषà¥à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤® मिलन
     अनेक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚, उपनिषदों में योगिराज शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ राधा जी के बारे में विधिपूरà¥à¤µà¤• वरà¥à¤£à¤¨ है किनà¥à¤¤à¥ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¥ˆà¤µà¤°à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में यह बताया गया है कि राधा और कृषà¥à¤£ का पà¥à¤°à¥‡à¤® इस लोक का नहीं बलà¥à¤•ि पारलौक था. सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरंठसे और सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अंत होने के बाद à¤à¥€ दोनों नितà¥à¤¯ गोलोक में वास करते हैं । शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ और राधा का पà¥à¤°à¥‡à¤® मानवी रà¥à¤ª में था और इस रà¥à¤ª में इनके मिलन और पà¥à¤°à¥‡à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की बड़ी ही रोचक कथा है। à¤à¤• कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देवी राधा और शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की पहली मà¥à¤²à¤¾à¤•ात उस समय हà¥à¤ˆ थी जब देवी राधा गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ माह की थी और à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ सिरà¥à¤« à¤à¤• दिन के थे । मौका था शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ । देवी राधा à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ से गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ माह बड़े थे और कृषà¥à¤£ के जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ पर अपनी माता कीरà¥à¤¤à¤¿ के साथ नंदगांव आठथे जहां शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ पालने में à¤à¥‚ल रहे थे और राधा माता की गोद में थी । à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और देवी राधा की दूसरी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात अलौकिक थी । यह उस समय की बात है जब à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ननà¥à¤¹à¥‡ बालक थे । उन दिनों à¤à¤• बार नंदराय जी बालक शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को लेकर à¤à¤¾à¤‚डीर वन से गà¥à¤œà¤° रहे थे । उसे समय अचानक à¤à¤• जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆ जो देवी राधा के रà¥à¤ª में दृशà¥à¤¯ हो गई। देवी राधा के दरà¥à¤¶à¤¨ पाकर नंदराय जी आनंदित हो गà¤à¥¤ राधा ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सौंप दें, नंदराय जी ने शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को राधा जी की गोद में दे दिया । शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ बाल रूप तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर किशोर बन गठ। तà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी à¤à¥€ वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤ । बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी ने कृषà¥à¤£ का विवाह राधा से करवा दिया । कà¥à¤› समय तक कृषà¥à¤£ राधा के संग इसी वन में रहे । फिर देवी राधा ने कृषà¥à¤£ को उनके बाल रूप में नंदराय जी को सौंप दिया । नंद गांव से चार मील की दूरी पर बसा है, बरसाना गांव । बरसाना को राधा जी की जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥€ माना जाता है । नंदगांव और बरसाना के बीच में à¤à¤• गांव है जो ‘संकेत‘ कहलाता है । राधा कृषà¥à¤£ की लौकिक मà¥à¤²à¤¾à¤•ात और पà¥à¤°à¥‡à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ संकेत नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से माना जाता है । यहीं पर पहली पर à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और राधा जी का लौकिक मिलन हà¥à¤† था। हर साल राधाषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ यानी à¤à¤¾à¤¦à¥à¤° शà¥à¤•à¥à¤² अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ से चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ तिथि तक यहां मेला लगता है और राधा कृषà¥à¤£ के पà¥à¤°à¥‡à¤® को याद कर à¤à¤•à¥à¤¤à¤—ण आनंदित होते हैं । शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और राधा के पृथà¥à¤µà¥€ पर पà¥à¤°à¤•ट होने का समय आया तब à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤† जहां दोनों का मिलन तय हà¥à¤† और इस मिलन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को संकेतिक कहा गया |
                               (पà¥à¤°à¤¾à¤£ से उदृत )   -आचारà¥à¤¯ धरà¥à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€
राधा और कृषà¥à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤® मिलन by
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